Thursday, 30 March 2017

एक कब्रिस्तान ऐसा भी


  • इस कब्रिस्तान में उर्दू के अदीबों का कभी लगता था अड्डा|
  • पटना के अशोक राजपथ पर पीरबहोर थाना के सामने बने अंग्रेजों के कब्रिस्तान में पिछली सदी के आठवे,नौवें दशक में उर्दू के अदीब जमा हुआ करते थे।उन्होंने इसे कब्रिस्तानियां नाम दिया था ।
  • दफ़नाने के लिए जगह भर जाने की वजह से 1946 में यह कब्रिस्तान बंद कर दिया गया । फिर देश आजाद हुआ। सुरु के दिनों में यह कब्रिस्तान सुनसान सी जगह ही थी । इसका लोहे का दरवाज़ा हमेसा बंद ही रहता था । धीरे धीरे इस सुनसान कब्रिस्तान में लोग आने लगे । इसके दरवाज़े पर एक चाय की दुकान भी खुल गयी । फिर यह कब्रिस्तान कई लोगों का शरण स्थल बन गया ।
  • शाम के वक़्त यहाँ उर्दू के शायरों अफसानानिगारों की महफ़िल जमने लगी ।
  • उर्दू शार्ट स्टोरी पर शोध करने आई अमेरिकन मिस लिंडावेंटिक भी यहीं आकर उर्दू के अदीबों से मिली थी । उर्दू वालों के लिए यह खास जगह बन गयी थी

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