Saturday 18 March 2017

क्रूर हत्यारे नहीं , सहृदय कलाप्रेमी थे आर्चर


1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान पटना में 11 अगस्त को सचिवालय पर झंडा फहराने के प्रयास में जो सात किशोर शहिद हुए थे,उसके लिए तत्कालीन जिलाधीश डब्ल्यू जी आर्चर को जिम्मेवार माना जाता है किन्तु बाद के दिनों में जो तथ्य प्रकाश में आये, उनसे पता चलता है कि उन शहीदों पर पहली गोली तत्कालीन पुलिस आईजी शील्ड बयान ने चलायी थी|
  • यह बात स्वयं आर्चर ने स्वर्गीय जिलानी को बतायी थी।

  • जब आर्चर स्वयं पटना आये थे तो अपने मेजबान भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक वरिष्ट अधिकारी को यह बात बतायी थी ।

  • उन्होंने यह भी बताया था कि हंगामे के बीच जो फायर का आदेश मौखिक रूप में दिया गया था,वह उनका नहीं बल्कि तत्कालीन पुलिस आईजी ब्यान का हरबड़ी भरा आदेश था। आर्चर उतने क्रूर नहीं थे,जितना की 1942 की उस ह्रदय विदारक घटना के बाद उन्हें समझ जाने लगा था ।इसके उलट उन्हें भारत और उसके संस्कृति से गहरा लगाव था|

  • यह सच है कि आर्चर ब्रिटिश हुक्मरानों में शामिल थे,लेकिन एक दूसरा सच यह भी है कि आर्चर क्रूर हत्यारे नहीं,बल्कि एक सहृदय कलाप्रेमी थें

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