Tuesday 18 April 2017

दरभंगा के किले का इतिहास


  • किले के निर्माण से काफी पूर्व यह इलाका इस्लामपुर नामक गाँव का एक हिस्सा था जो की मुर्शिमाबाद राज्य के नबाब , अलिबर्दी खान , के नियंत्रण में था | नबाब अलिबर्दी खान ने दरभंगा के आखिरी महाराजा श्री कामेश्वर सिंह के पूर्वजों को यह गाँव दे दिया था |
  • इसके उपरांत सन १९३० ई० में जब महाराजा कामेश्वर सिंह ने भारत के अन्य किलों की भांति यहाँ भी एक किला बनाने का निश्चय किया तो यहाँ की मुस्लिम बहुल जनसँख्या को जमीन के मुआवजे के साथ शिवधारा , अलीनगर , लहेरियासराय- चकदोहरा आदि जगहों पर बसाया |रामबाग कैम्पस चारों ओर से दीवार से घिरा हुआ है और लगभग ८५ एकड़ जमीन में फैला हुआ है |किले की बनावट किले की दीवारों का निर्माण लाल ईंटों से हुई है | इसकी दीवार एक किलोमीटर लम्बी और करीब ५०० मीटर चौड़ी है |
  • किले के मुख्य द्वार जिसे सिंहद्वार कहा जाता है पर वास्तुकला से दुर्लभ दृश्य उकेड़े गयें है | किले के भीतर दीवार के चारों ओर खाई का भी निर्माण किया गया था | उस वक्त खाई में बराबर पानी भरा रहता था |ऐसा किले और वस्तुतः राज परिवार की सुरक्षा के लिए किया गया था |किले की दीवार काफी मोटी थी | दीवार के उपरी भाग में वाच टावर और गार्ड हाउस बनाए गए थे |
  • इसे दूसरा लाल किला भी कहा जाता है ।

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